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चुभती-चुभती सी ये कैसी पेड़ों से है उतरी धूप / गौतम राजरिशी
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15:43, 28 जनवरी 2016
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|रचनाकार=गौतम राजरिशी
|अनुवादक=
|संग्रह=
पाल ले इक रोग नादाँ / गौतम राजरिशी
}}
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घर आया है फौजी, जब से थमी है गोली सीमा पर
देर तलक अब छत के ऊपर सोती तान मसहरी धूप
</poem>
(मासिक हंस-सितम्बर 2009, लफ़्ज़-सितम्बर 2011)
Gautam rajrishi
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