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अस्वीकरण
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महानगर: कुहरा / अज्ञेय
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10:46, 31 मार्च 2008
उन अधर-टँके सब संसारों को<br>
एक कुंडली में, जिस पर<br>
होगा
आसान
आसन
<br>
किस निराधार नारायण का?<br><br>
एक पिघलती सुलगन के घेरे में:<br>
ऊभ-चूभ कर<br>
पुनः डूबने
को--
को—
<br>
चादर की ओट<br>
या कि गाड़ियों की<br>
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Sumitkumar kataria