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{{KKRachna
|रचनाकार=गौतम राजरिशी
|संग्रह= पाल ले इक रोग नादाँ / गौतम राजरिशी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
जब छेड़ा मुजरिम का किस्साक़िस्साचर्चित था उट्ठा फिर हाकिम का किस्साक़िस्सा
जलती लड़ती शब भर आँधी में से जोलिख उस लौ मद्‍धिम का किस्साक़िस्सा
सुन लो सुन लो पूरब वालों
सूरज से पश्‍चिम का किस्साक़िस्सा
छोड़ो तो पिंजरे का पंछी
गायेगा जालिम ज़ालिम का किस्साक़िस्सा
जलती बस्ती की गलियों से
सुन हिंदू-मुस्लिम का किस्साक़िस्सा
बूढ़े मालिक का शव बोले
दुनिया से खादिम ख़ादिम का किस्साक़िस्सा
कहती हैं बारिश की बूंदें
सुन लो तुम रिमझिम का किस्साक़िस्सा
''{त्रैमासिक  (युगीन-काव्या, जुलाई-सितम्बर 2009}''</poem>)
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