Changes

{{KKCatGhazal}}
<poem>
 
बताऊँ क्यों अजीब हूँ
मैं शायर-ओ-अदीब हूँ
धनी हूँ बात का सनम
भले ही मैं आदमी ग़रीब हूँ
हयात के कफ़स में हूँहयात की
मैं एक अन्दलीब हूँ
जानेमन यक़ीन कर
फ़क़त तेरा हबीब हूँ
ग़ज़ल ही सिन्फ़ है मेरी ग़ज़ल ही का तबीब हूँ कभी - कभी ये लगता है
मैं अपना ही 'रक़ीब' हूँ
</poem>
384
edits