भीड़ छँटी तो पाया हमने यार हमारा उतरा है I
पर्वत-पर्वत , मैदाँ-मैदाँ , जंगल-जंगल से होकर
मीठा-मीठा जब आया तो खारा-खारा उतरा है I
आँखें जल्दी मूंदों सखियों और मुरादें माँगों भी
उधर देखिये ! आमसान से , टूटा तारा उतरा है I
छाप-छूप कर मेरे अपने शेर , मुझी से बोला वो
देखो-देखो 'दीप' इधर तो कितना प्यारा उतरा है I
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