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ईमानदारी बोलती है / डी. एम. मिश्र
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16:25, 3 जनवरी 2017
उसे अलग से
ज़बान की ज़रूरत नहीं होती
कविता अपना काम करती है
उसे अलग से
तीर-कमान की जरूरत नहीं होती
बैसाखियाँ हैं
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