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खूब अकबका भीड़ हा देखत, बोलई बंद मुंह हा चुपचापबक खा गीन गरीबा मेहरु, मानों सूंघिस बिखहर सांप।हांक बजा के जइतू बोलिस -”सुन लव बात कृषक बनिहारमंय हा लछनी ला अपनाहंव, खिघू के सरियत हा स्वीकार।मंय हा दाइज नइ मांगव – नइ होवन दंव बरबादी।व्यर्थ खर्च ला रोक लगाबो – साधारण अस शादी।सब मनसे के हृदय फूल गिस, मगर पुसऊ ला ब्यापत फिक्रचम्पी हा कारण जाने बर, करिस पुसऊ ले तुरुत सवाल –“जइतू हा स्वीकार लीस सब, करिहय लछनी साथ बिहावओहर दाइज तक नइ मांगत, हर्षित हवंय जमों इंसान।नोनी के तंय सगे ददा अस, मगर लुकावत अपन विचारयदि मन मं शंका हे कोई, सब के पास खोल दे साफ?”बोलिस पुसऊ -”तुमन जानत हव – भारत हा शहीद हो गीसओकर विधवा अमरउती हा, पावत हवय कष्ट गिदगीद।याने सेना के जवान मन, बोकरा असन मरत अध बीचतंहने ओकर खटला बपरी, आपसरुप घुसत दुख कीच।यदि जइतू पर कुछ दुर्घटना, लछनी के भावी बर्बादइही सोच मंय नटत पिछू तन, जइतू ला नइ देत जुवाप।”मेहरुकथय -”गलत सोचत हस, शंका तोर स्वप्न अस व्यर्थसब सैनिक मन बीच मरंय नइ, कतको झन भोगत सुख अर्थ।मन के भ्रम डर ला बाहिर कर, लछनी ला जइतू संग भेजइनकर जोड़ी लकलक फभिहय, तोर माथ हा उठिहय ऊंच।”खिघू किहिस -”शुभ टेम पाय हस, लछनी ला जइतू तिर हारसब के मन जोड़ी पर जावत, तंय संबंध ला कर सिवकार।अगर सुअवसर ले चूकत हस, फिर नइ पास समय कंगालजइसे बेंदरा फेर पाय नइ, अगर हाथ ले छूटत डाल।”पुसऊ जमों के कहना सुनथय, मन मं खूब विचारिस घोखबोलिस -”तुम्हर सलाह जंचत हे, मंय उत्तर देवत हंव सोध।लछनी ला मंय हिले लगाहंव, सिर्फ एक जइतू के साथमगर “बिदा’ ला अभि रोकत हंव, एक बात हा आवत आड़ –धरमिन – आत्मा शांत होय नइ, ए कारण शुभ काम थेम्हातकुछ दिन बाद अपन लछनी ला, करिहंव बिदा हर्ष के साथ।पर जइतू ले आस एक ठक – रहय अपन प्रण मं अंड़ ठाड़वरना लछनी के चरित्र पर, लग जाहय बदनाम के दाग।”जइतू हा स्वीकार करिस तंह, सबके मन भर गिस संतोषपुसऊ के हिरदे फूल फूल गिस, काबर के पागिस प्रण ठोस।खिघू हा पुसऊ ला झिड़की दिस -”जइतू जब बन गीस दमांदएमन ला जेवन करवा अउ, बढ़ा प्रेम ला कड़कड़ बांध।जइतू मेहरुपुसऊ गरीबा बइठिन खाए खाना।लछनी लजालजा के परसत देखत हे करनेखी।जइतू अउ लछनी मन देखिन, एक दुसर ला तिरछा नैनकुछ मुसकान मुंहू पर आवत, मगर प्रेम नइ खोलिन बैन।इंकर दुनों के हालत देखिन, मेहरुअउर गरीबा मित्रमगर बात ला लुका के रख लिन, फइलन दीन प्रेम के इत्र।जेवन कर जब बाहिर आथंय, तब इनकर मं चलत मजाककथय गरीबा हा मेहरुला -”सुन तो मित्र एक ठक बात।मंय लछनी ला देख पाय नइ, मंय तो भोजन मं बिपताययदि तंय लछनी ला देखे हस, बता भला ओकर कस रुप?”मेहरुकिहिस – “करंव का वर्णन, लछनी हे खूबसूरत दिव्यजइतू ओकर एंड़ी के धोवन, टका सेर के अंतर जान।बिगर पुछन्ता के होवत हम, जइतू करय हमर नइ यादलछनी संग मं भूले रहिहय, काकर करा करन फरियाद!”जइतू हा मुसकावत बोलिस – “झनिच लगाव मोर पर दोषसब संबंध तुम्ही जोड़े हव, अपन कर्मफल तुम खुद खावपर मंय रायगढ़ शहर मं रहिथंव, हम जानत मित्रता के अर्थतुम्हर कदर जीवन भर करिहंव, अमर सदा बर रिश्ता मीठ।”तीनों झन सुन्तापुर लहुटिन, अैनस गरीबा अपन मकानतभे अैझस टहलू अउ बोलिस -”आय मोर पर दुख के भार।जब धनवा के सब नौकर मन, करे रेहेन हठकर हड़तालउही बखत मंय बदे रेहे हंव – बोहंव अवस जंवारा जोत।मोर कसम हा झन टूटय कहि, उठा डरे हंव बड़ जक कामपर रुपिया के परत लचारी, जबकिन अठवई लगगे आज।नरियर लिम्बू बोकरा कुकरी, अब तक ले नइ पाय खरीददेव काम हा सिद्ध हे निश्चय – जब लेहंव ऊपर के चीज।मोर पास हे खेत एक ठन, ओला बेच दुहूं मंय आजयद्यपि अंतस मं दुख होवत, मगर सिद्ध करिहंव शुभ काम।”कथय गरीबा -”भइया टहलू, अब तो नींद छोड़ के जागतोर पास जब कुछ कूबत नइ, काबर धरत व्यर्थ फटराग!देव – धर्म ला निश्चय मानों, लेकिन पूर्व जांच लव टेंटगलत काम ला तंय उठाय हस, जब नइ शक्ति भरे बर पेट।अब तंय हा कइसे निपटाबे, आय मुड़ी पर गहगट कामपूर्ण करत तब कंगला होवत, अगर अपूर्ण होत बदनाम।”किहिस गरीबा हा समझौती, पर टहलू ला लग गिस बाणतमकिस -”सब उपदेश ला देथंय, मगर मदद ले झींकत हाथ।धनसहाय हा हवय दयालू, जेहर सबके हरथय कष्टओकर शरण मं अब गिरना हे, काबर करंव समय ला नष्ट!”खूब भड़क के कथय गरीबा -”अपन ला बेंचेस धनवा – हाथअब ओकर तिर खेत ला बेचत, अपन गृहस्थी बेंच दे बाद।तुम्हरे धन ला धनवा खाथय, ऊपर ले हलात छे हालसाग के मोल मं धरती लेथय, सब ला बना डरिस कंगाल।”
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