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16:55, 12 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
अेकर फेरूँ
सालीणौ इम्तहान जैड़ौ
दुकाळ रौ उकळास
चमगूंगा री भेळप
चैफेर उडीक
फगत राज री।
राज री धजा फरुकै
राज लोभी कागदां रौ
जको आवै राम बण नै
केई भेस मांय
भंभूळा उडावतौ
इम्तहान लेवण नैं
पास-फैल करणै।
खाटळी माथै पड़्या
कड़तू टूट्योड़ा
ढांचला
मुसाणां नै उडीकता
हुयज्या पास
अर रै‘ज्या केई
सांतरै डील रा
जोध-जवान
जका नीं राखै राजी
राज रै राम नैं।
वां ले लिया हाथां
रगत-तिस्या फरसा
निसरज्या समूळौ राम
कद ! कुण जांणै!
</poem>
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