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10:29, 26 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=भंवर कसाना
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-4 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
मैणत री सातां दुमणी सी लागी जद
हाथां री लीकां कुमणी सी लागी जद
तिसणा रै कांकड़ में रूळगी अपणायत
मनसा चितबैंगी हिरणी सी लागी जद
ठायै रैयर कुण किण नै ठायै करसी
जिनगाणी घणचक्कर घिरणी सी लागी जद
खुद ही हाथां सूं उठा राळदी अेके कानी
आपांळी जाजम जमणी सी लागी जद
पोथी रचणी छोड बैचता दीख्या पंडत
करणी सगळी भरणी सी लागी जद
</poem>
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