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14:11, 26 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सुरेन्द्र सुन्दरम
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-4 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<poem>
चौदर आच्छी घणीं लागै
जे थे करो अर
म्हानै सैवणीं पड़ै
आई चौदर
चुबण लाग जावै
जे करां म्हे अर
थांनै सेवणीं पड़ै
आ बात खारी भोत है
पण बात नै तो
बात कैवणीं पड़ै।
</poem>
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