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जूण रा इग्यारा चितराम (4) / सुरेन्द्र सुन्दरम
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चौदर आच्छी घणीं लागै
जे थे करो अर
म्हानै सैवणीं पड़ै
आई चौदर
चुबण लाग जावै
जे करां म्हे अर
थांनै सेवणीं पड़ै
आ बात खारी भोत है
पण बात नै तो
बात कैवणीं पड़ै।