Changes

आपां / मोहन पुरी

702 bytes added, 08:39, 27 जून 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन पुरी |अनुवादक= |संग्रह=थार-सप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मोहन पुरी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-4 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
बुणगट थांरी अर म्हारी
अेक....
अन्न-जळ थांरो अर म्हारो
अेका अेक....
लोही, थांरो अर म्हारो
अेक सरीखो...
जीवण थांरो अर म्हारो
अेक ई पगडाण्डी...
... तो फेर क्यूं
होवै...
आपसरी रा बांथेड़ा ?

</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits