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17:10, 27 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=हनुमान प्रसाद बिरकाळी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-6 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
अब कोई सोधै
उण दिनां नै
जिका खुद
हाथां गमा दिया
जिण दिनां में होंवता
हेत अर प्रीत
नाच अर गीत
लीर-लीर कुड़ती में
धपटवों सुख
मा री गाळां
घी री नाळां
बाप री धोळ
ऐवड़ रा टोळ
कोनीं लाधै
अब मोकळो फिरोळ!
</poem>
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