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18:06, 27 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=इंदिरा व्यास
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
खद्दर में खटमल
गदर मचावै
देस नै खावै
ताबै किणीं रै
कदैई नीं आवै
आं री बंसबेल
बधती जावै
बधती जावै
बोटां री कळ सूं निकळै
कळ में ई मर जावै
पण आं नै मारण
आगै कोई नीं आवै।
</poem>
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