1,283 bytes added,
09:19, 28 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
|अनुवादक=
|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
म्हे जद छोटा हा
बात बात माथै
रूस जांवता
मानता तो मानता
नींस कुटीज जांवता
कई बार
कुटीज जांवता तो भी
रूस जांवता
मानता ई नीं
लाख मनायां ई!
ठाकुरजी रै भोग ताईं
आई मिठाई
चोर'र खांवता तो कुटीजता
मांगता तो भी कुटीजता
पत्थर रै भगवान रै
चढ्योड़ी मिठाई
भगवान तो नीं
हरमेस म्हे ई खांवता
लुक बांट'र
ठाह लाग्यां भी
म्हे ई कुटीजता!
पत्थर री देवळी तो
सदां ई इकसार
हांसती रैंवती
मा खानीं अर म्हां खानीं!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader