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{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
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|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<poem>
रूप री भी
होवै भूख
जकी ढकै
मुंडै री झुर्यां
काळा करै बाळ
जीमावै जमावणां
रूप री भूख ई
लगावै चस्मा
पैरावै गाभा अदबदा।

रूप री भूख
पळै-टुरै
देह साथै
छेकड़ मरै
देह साथै!
</poem>
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