609 bytes added,
11:06, 28 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
|अनुवादक=
|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
धूड में
धूण घाल्यां
ऊंदै माथै पड़ी
रूंख नै
हर्यो राखण
ढूंढै जळ
आभै सूं पताळ
साव मा है
जड़ रूंख री
मा रै ई होवै
इत्ता जाळ-जंजाळ!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader