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गैणौ / दीनदयाल शर्मा

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|संग्रह=रीत अर प्रीत / दीनदयाल शर्मा
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<poem>

पैली मा
भौत पैरती गैणौ
जड़ाऊआळौ बोरलौ
सिर माथै सीसफूल
मोटी-मोटी झूमक्यां
गळै में गळसरी
बडी सारी तागड़ी
अर पगां में
हुंवती पाजेबां
बडा-बडा घुघरियांळी

लूंग, गंूठी,चुटकी
अर चूड़्यां री
नीं हुंवती कोई गिणती

अबै
लुगायां
कठै पैरै गैणौ

स्यात
बैंकां रै
लोकरां में
पड़्यौ है उदास सो

अर
अडीकै
किणी गोरड़ी नै
सजाण सारू।
</poem>
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