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06:35, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
}}
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<poem>
चिड़ी री बोली
चिड़ी रा बचिया जाणै
अर
बचियां री बोली
जाणै चिड़ी
कांई ठाह
कांईं बात करै
कांईं कैवै
पण
मायड़ भासा रौ आणंद
निरवाळौ हुवै।
</poem>
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