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आणंद / दुष्यन्त जोशी
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चिड़ी री बोली
चिड़ी रा बचिया जाणै
अर
बचियां री बोली
जाणै चिड़ी
कांई ठाह
कांईं बात करै
कांईं कैवै
पण
मायड़ भासा रौ आणंद
निरवाळौ हुवै।