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06:42, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
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<poem>
रीस में मिनख
जिनावर नीं
पागल बण सकै
पशु कन्नै
सबद नीं
संवेदना रौ
अकूत भंडार हुवै
पण पागल
भूंडै सबदां रौ पिटारौ
अर
दया रौ पात्र।
</poem>
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