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बंतळ / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
आखी दुनिया रै
रोळै-रप्पै में
आपां सामल हां सगळा


अेक दूजै सूं
आगै निकळनै री होड में
आपां भौत सी चीजां
छोड दी लारै

आओ
थोड़सीक ताळ सुस्ताल्यां

कीं बतळ करल्यां।

</poem>
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