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बंतळ / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
आखी दुनिया रै
रोळै-रप्पै में
आपां सामल हां सगळा
अेक दूजै सूं
आगै निकळनै री होड में
आपां भौत सी चीजां
छोड दी लारै
आओ
थोड़सीक ताळ सुस्ताल्यां
कीं बतळ करल्यां।