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11:37, 8 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ॠतुप्रिया
|अनुवादक=
|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
गुवाड़ रै
जूनै रूंख माथै
आवै भांत-भांत रा
पाखी
करै रात बासौ
अर
झांझरकै
उडज्यै
अेक औेर
जातरा सारू।
</poem>
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