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पाखी / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
गुवाड़ रै
जूनै रूंख माथै
आवै भांत-भांत रा
पाखी
करै रात बासौ
अर
झांझरकै
उडज्यै
अेक औेर
जातरा सारू।