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11:39, 9 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
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<poem>
कैकेयी रै वचनां सूं
बंध्योड़ै
राजा दशरथ री
राम सूं
दो इंछावां-
भरत नैं राज
अर चवदै बरसां रो देसूंटो।
मा री मनगत सूं
बंध्योड़ै
बाबै री पण
मोभी बेटै सूं
फगत दो इंछावां-
घर छोड़'र
मती जा अळघो
अर अबै तो संभाळ
घर रो भार।
</poem>
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