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11:53, 9 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
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<poem>
अेकलो कोनी
म्हैं खुद हूं
सागै म्हारै।
खुदोखुद सूं
करूं सवाल
देवूं पडूत्तर
करूं बंतळ।
इण बदरंग बगत में
खुद रै सागै सूं ई
सोरी हुय सकै
आ जातरा।
</poem>
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