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11:00, 13 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=रोशनी का कारवाँ / डी. एम. मिश्र
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{{KKCatGhazal}}
<poem>
आत्मा नीलाम करके कुछ भी पा लो।
रात वाला काम करके कुछ भी पा लो।
गर तुम्हारे नाम से कुछ हो न हासिल,
तो हमें बदनाम करके कुछ भी पा लो।
जाल में फँस जाय गर मोटा शिकार,
तो उसे नाकाम करके कुछ भी पा लो।
मर गये माँ - बाप बेचारे तडपकर,
आज चारों धाम करके कुछ भी पा लो।
और यदि सरकार माँगों को न माने,
तो सड़क को जाम करके कुछ भी पा लो।
किन्तु ये इतिहास केवल जानता है,
एक अच्छा काम करके कुछ भी पा लो।
</poem>
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