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दुनिया नहीं रुकी है बेशक़ किसी रस्मे वफा़ के बाद।वास्ते हर सुख भुला दिया।मेरा हुआ ये हाल है लेकिन उसी के बाद।मैंने तो अपना एक-एक पल लगा दिया।
जब वक्त हाथ में था इतनी भी इनायत तो थामा न तेरा हाथमगर कम नहीं है दोस्त,अब प्यार आ रहा है मगर बेबसी के बाद।मेरी जो ख़ता थी मुझे पहले बता दिया।
मैंने विदा किया था तुझे ग़ैर का तरहफिर आखिरी समय पे क्या शिकवा गिला करें,कैसे नज़र मिलाउँगा कल वापसी के बाद।अच्छा किया जो तुमने मुझे फिर दगा दिया।
आँगन की धूप जा रही इतना दिया है धीरे-धीरे दोस्तऔर क्या देती दिवानगी,अब तो दिखेंगे फूल भी काले इसी के बाद।चाहत को मेरी उसने इबादत बना दिया।
मुझ पर लगा रहे थे जो इल्जा़म कल तलकपल भर को अपने आँसुओं को रोक कर सनम,रोने लगे हैं वो भी मेरी खु़दकुशी के बाद। देखा तुम्हें जो खुश तो मैने मुस्करा दिया।
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