गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
उड़ गये रंग हुए श्वेत हम / डी. एम. मिश्र
6 bytes removed
,
12:02, 23 अगस्त 2017
{{KKCatGhazal}}
<poem>
उड़ गये रंग हुए श्वेत
हम।
हम
हो गये सूखकर रेत हम।
कब भरे, कब पके, कब कटे
,
आज परती पड़े खेत हम।
वक्त़ ने मार डाला हमें
,
आदमी से हुए प्रेत हम।
क्या नयन बोलते आपके
,
वो समझते हैं संकेत हम।
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits