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रूप बदलकर एक टाँग पर खड़ा मगर है / डी. एम. मिश्र
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09:54, 24 अगस्त 2017
गाँव छोड़कर अपना मैं यह कहाँ आ गया
पुठपाथों
फुटपाथों
पर जगह नहीं सम्पन्न शहर है।
मँहगाई की मार झेलता आम आदमी
बड़े लोग तो खुश हैं उन पर कहाँ असर है।
</poem>
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