Changes

इज़्ज़तपुरम्-55 / डी. एम. मिश्र

851 bytes added, 11:40, 18 सितम्बर 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=इज़्ज़तपुरम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
अँधेरे में ऊँचे
सम्बोधनों से लद जायें
पनाले जैसे जिस्म

हमाम में धुले
नथुने
न भींगे यहाँ
पर-स्वेद में

गंदे अधर हों
पवित्र हर की पौड़ी

जाने जिगर
जानेमन
मेरीजान
दोगले
बेजान
शब्दनामा छोड़कर
निज नारियों का देह
लार टपकाते
आ फाट पड़ते हैं
अंधे कुएँ में
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits