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गाँव की चिट्ठी / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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19:30, 26 अगस्त 2018
बँधा मुकददर गाँव का, पटवारी के हाथ।
दारू -मुर्गे के बिना तनिक न सुनता बात।।11
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वीरबाला
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