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05:54, 22 दिसम्बर 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
चौफेर हुया बदळाव देखल्यौ
मिनखां माच्यौ हिड़काव देखल्यौ।
हुयगी है दुरगत राजनीति री
आंरा सांग सुभट-साव देखल्यौ।
पद-कुरसी खातर है तड़ातड़ी
सगळां रै लागी लाय देखल्यौ।
जनसेवा री बातां गई करौ
दिल्ली रौ चढर्यौ चाव देखल्यौ।
मिनखाचारौ साव भिसळग्यौ
राकस जैड़ा बरताव देखल्यौ।
</poem>
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