Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
फंफेड़ नाखै
काळजै मांयली
अेक तूफानी लैर
जकी मैसूस करै
जगती सूं निरवाळा
फगत दो जीव।

नैतिक नेम-कायदा
समाजू असूल
जात-धरम री लाल-हरी धजावां
ऊंच-नीच रा रोळा
मिंदर-मैजत री धोक
सगळा कर देवै तैस-नैस
भांत-भंतीला रंग
हुय जावै अेकठ
वठै रच जावै मांय-मांय
सातूं रंग भेळौ
फगत अेक प्रेम-रंग।

पण हुय जावै जद
ओ रंग जग-चौड़ै
खिंड जावै पूठा विडरूप रंग
जात-धरम रा
ऊंच-नीच रा
गरीबी-अमीरी रा
घिनावरा उकळता रंग
छेकड़ बचै अेक ई रंग
अणथाग लोही रौ
जकौ नीसरै तरवार री धार सूं
बच जावै अखूट प्रेम-कहाणी।

</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits