867 bytes added,
09:52, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
बीसवै सईकै रै सेड़ै
कठै पूगग्या हां म्हे ?
नानी-दादी नै झुरै
दिन-रात
कांईं गीत
अर कांईं बात !
तरसै गीतां नै कंठ
रांचै पाठकां नै
कविता अर सबद।
वेलै माईतां सारू
टाबर
अर बेटा सारू
तात।
संभळौ, संभळौ
अर संभळौ
नींतर व्हैला
अपघात।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader