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15:05, 3 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[ॠतुप्रिया]]
|अनुवादक=
|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
}}
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<poem>
मुसाणां में
दाग स्यूं पैली
राखै चूंतरै माथै
पछै मुंडौ उघाड़’र
सगळा निरखै
अर बारी-बारी
लगावै कयास
कै स्यात
आंवता हुयसी सांस।
</poem>
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