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आज की यह रात! / रामेश्वरलाल खंडेलवाल 'तरुण'
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10:27, 12 अप्रैल 2018
सिहर-सिहर कर रह जाय-
होठों के कगारों से टकराकर...
आज की यह रात!
</poem>
Sharda suman
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