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15:37, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
{{KKCatHaiku}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
फळ-फूल‘र
रूंखड़ा भुलाय दै
बीज रो त्याग
{{KKBR}}
मरू-ताप सूं
काळा है तन, पण
मन-ऊजळा
{{KKBR}}
गोरी कंवळी
मरूथळ री रेत
मा रै मन ज्यूं
</poem>
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