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16:39, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
बणीं मसीनां
मालिक, तो मरैला
मिनखपणो
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राजनेता हां
पूंछ भी हिलालां‘र
भूख भी लां
{{KKBR}}
कीं नईं खायो
नीं घर ई बणायो
कांय रो नेता?
</poem>
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