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16:44, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
तिरसा कंठ
समझै बूंद-बूंद
पाणी रो मोल
{{KKBR}}
सहकारिता
सै मिलजुल खाओ
राज आपां रो
{{KKBR}}
तिस्सो ना मर
इत्ता ठेका खुलाया
छक-छक पी
</poem>
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