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07:45, 27 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
{{KKCatHaiku}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
मा तो हुवै है
नीर भरी बदळी
बरसती रै
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थ्यावस राख
जिको सूरज डूबै
बो पाछौ ऊगै
{{KKBR}}
आज मिनख
ऊपर सूं अर्जुन
मांय शिखंडी
</poem>
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