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हाइकु 113 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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मा तो हुवै है
नीर भरी बदळी
बरसती रै
थ्यावस राख
जिको सूरज डूबै
बो पाछौ ऊगै
आज मिनख
ऊपर सूं अर्जुन
मांय शिखंडी