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07:47, 27 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
बादळ पूत
पीय‘र खारो पाणी
बरसै मीठो
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मांझळ रात
रोवै है समंदर
जुगां-जुगां सूं
{{KKBR}}
थारी याद में
खिलै गुलमोहर
मै‘कै चमेली
</poem>
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