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हाइकु 116 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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बादळ पूत
पीय‘र खारो पाणी
बरसै मीठो


मांझळ रात
रोवै है समंदर
जुगां-जुगां सूं


थारी याद में
खिलै गुलमोहर
मै‘कै चमेली