गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
पारू झूठ नि बोल / लोकेश नवानी
3 bytes removed
,
06:59, 30 जुलाई 2018
|संग्रह=
}}
{{
KKCatGadhwaliKavita
KKCatGadhwaliRachna
}}
<poem>
पारू झूठ न
बोल।
बोल
हे पारू झूठ न बोल।
प्रेम बिना क्वी रै नि अछूतो घिंडुड़ि बणांदी घोल।।
बाच न सान न चुप-चुप हेरिकि आंख्यूं से ना बोल।
Abhishek Amber
Mover, Reupload, Uploader
3,965
edits