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19:01, 22 अगस्त 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ललित कुमार
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|संग्रह=
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<poem>
'''मनै पाटी कोन्या जाण, बाहण या कोण लुगाई सै,'''
'''इसका चन्द्रमा सा नूर-हूर, इसी कितै आई सै || टेक ||'''
सूर्य सुता तप्ती सा चेहरा, मन मोह लिया इसनै मेरा,
यो कीचक भाई मरैगा तेरा, इब मेरी करड़ाई सै ||
या मृगानयनी फिरै महल मै, रहै दासी बणकै तेरी टहल मैं,
जै ब्याह होज्या इसकी गैल मै, तो स्वर्ग की राही सै ||
रम्भा-उर्वशी मेनका प्यारी, ये इंद्र की परी फ़ैल सै सारी,
गात मै चमक तेग दुधारी, जणू तुर्त साण पै लायी सै ||
तूं बात मानले बहना मेरी, भावज बणाले इसनै तेरी,
कहै ललित मत लावै देरी, मेरा दिखै भाग सवाई सै ||
</poem>