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{{KKRachna
|रचनाकार=देवमणि पांडेय
}}
[[Category:गीत]]

खिलते हैं दिलों में फूल सनम सावन के सुहाने मौसम में<br>
होती है सभी से भूल सनम सावन के सुहाने मौसम में ।<br><br>

:यह चाँद पुराना आशिक़ है<br>
:दिखता है कभी छिप जाता है<br>
:छेड़े है कभी ये बिजुरी को<br>
:बदरी से कभी बतियाता है <br><br>

यह इश्क़ नहीं है फ़िज़ूल सनम सावन के सुहाने मौसम में।<br><br>

:बारिश की सुनी जब सरगोशी<br>
:बहके हैं क़दम पुरवाई के<br>
:बूंदों ने छुआ जब शाख़ों को<br>
:झोंके महके अमराई के<br>

टूटे हैं सभी के उसूल सनम सावन के सुहाने मौसम में<br><br>

:यादों का मिला जब सिरहाना<br>
:बोझिल पलकों के साए हैं<br>
:मीठी सी हवा ने दस्तक दी<br>
:सजनी कॊ लगा वॊ आए हैं<br><br>

चुभते हैं जिया में शूल सनम सावन के सुहाने मौसम में। <br><br>