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<poem>

धरती पर महाकाल
तमशून्य हुआ सूर्य
दिक् दिक् दिक् क्षरित हुआ दिक्काल

सूर्य हुआ रक्तिम
अँधियारा वाचाल

उठा पूरब में
दक्षिण में
पश्चिम का विगलित अट्टहास...

</poem>
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