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20:28, 23 जनवरी 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मधु शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
धरती पर महाकाल
तमशून्य हुआ सूर्य
दिक् दिक् दिक् क्षरित हुआ दिक्काल
सूर्य हुआ रक्तिम
अँधियारा वाचाल
उठा पूरब में
दक्षिण में
पश्चिम का विगलित अट्टहास...
</poem>