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05:34, 25 जनवरी 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हस्तीमल 'हस्ती'
|संग्रह=प्यार का पहला ख़त / हस्तीमल 'हस्ती'
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
हँसती गाती तबीयत रखिए
बच्चों वाली आदत रखिए
शोला, शबनम, शीशे जैसी
अपनी कोई फ़ितरत रखिए
हँसी, शरारत, बेपरवाही
इनमें अपनी रंगत रखिए
छेड़-छाड़ और धींगामस्ती
करने को भी फ़ुरसत रखिए
भरे-भरे मानी की ख़ातिर
कभी-कभी कोरा ख़त रखिए
काम के इंसां हो जाओगे
हम जैसों की सोहबत रखिए
</poem>